उत्कर्ष नव ...
Thursday, September 10, 2009
उन्नयन...
विह्वल ह्रदय आज निराशा में,
डूबता अहं सर्व अश्रु जलधारा में,
अवर करुण चेतना पर उत्साहित,
एक नव उन्नयन प्रत्याशा में ...
- पंकज बोरा
1 comment:
शागिर्द - ए - रेख्ता
September 11, 2009 at 3:23 AM
बहुत सुंदर ...| अच्छी पंक्तियाँ हैं |
ब्लॉगजगत में स्वागत है |
लिखते रहिये | शुभकामनाएं |
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बहुत सुंदर ...| अच्छी पंक्तियाँ हैं |
ReplyDeleteब्लॉगजगत में स्वागत है |
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