Friday, September 11, 2009

आकांक्षा...



जग में प्रीति की ज्योति जला दू मैं ...
जग में प्रीति की ज्योति जला दू मैं ...


पुण्य धरा पर सुन्दरतम
प्रेम प्रकाश फैला दू मैं
जन-मन-हिय में अनुपम
स्वर्गिक आभास दिला दू मैं

जन- जन जो शोषित, पीड़ित
पंक दलित, हर सुविधा रहित
आशा दीप उस दिल में जगाकर
जीवन प्रीति का राग दू मैं


प्रीति के हर रूप हर रागिनी में
जीवन ध्येय की श्वेत रोशिनी में
जीवन का नैसर्ग दिखाकर
राह में उत्साह उसके भर दू मैं


जग में प्रीति की ज्योति जला दू मैं...
जग में प्रीति की ज्योति जला दू मैं...



- पंकज बोरा

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