Friday, September 11, 2009

अनभिज्ञ मन

किस सत्य से अनभिज्ञ मन

किस ख्वाब में निर्लिप्त तन

किस सोच को सच में बदलने के लिए

नित रोज़ उर में यह उफ़न

- पंकज बोरा

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