Thursday, September 10, 2009

उन्नयन...

विह्वल ह्रदय आज निराशा में,

डूबता अहं सर्व अश्रु जलधारा में,

अवर करुण चेतना पर उत्साहित,

एक नव उन्नयन प्रत्याशा में ...

- पंकज बोरा

1 comment:

  1. बहुत सुंदर ...| अच्छी पंक्तियाँ हैं |

    ब्लॉगजगत में स्वागत है |

    लिखते रहिये | शुभकामनाएं |

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