उत्कर्ष नव ...
Thursday, September 17, 2009
नाजुक-सा ख्वाब
इक नाजुक से ख्वाब को इस दिल के अंजुमन में सहेजे हैं हम
हर रोज़ हर पल उसके टूटने का भय बना रहता है
-
पंकज
बोरा
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